Chief Minister’s 7 Point Programme for Empowerment of Women: राजस्थान मुख्यमंत्री का महिला सशक्तिकरण का 7 सूत्रीय कार्यक्रम जानीए एसके बारे मे ।

Chief Minister’s 7 Point Programme for Empowerment of Women : राजस्थान मुख्यमंत्री का महिला सशक्तिकरण का 7 सूत्रीय कार्यक्रम यह जीवन चक्र दृष्टिकोण महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है।अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष, ८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। 2009–2010 के दौरान CM ने सात सूत्री कार्यक्रम शुरू किए। महिलाओं का जीवन चक्र इस कार्यक्रम का आधार है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सुरक्षा और एक सुरक्षित और भयमुक्त जगह देने की कोशिश की जा रही है। निम्नलिखित मुद्दों पर कार्यक्रम केंद्रित है:सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों, संघों, सहकारी तथा स्वैच्छिक संगठनों और गैर-सरकारी स्वैच्छिक संगठनों इस अभियान को लागू कर सकते हैं। यह स्कीम से धन प्राप्त करने वाले निकाय, संस्था या अभिकरण को ग्रामीण क्षेत्र में स्थित होना चाहिए, भले ही उनका मुख्यालय शहरी हो।

  • सुरक्षित मातृत्व
  • आईएमआर में कमी
  • जनसंख्या स्थिरीकरण
  • बाल विवाह की रोकथाम
  • लड़कियों को कम से कम दसवीं कक्षा तक बनाए रखना
  • महिलाओं को सुरक्षा एवं सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना
  • स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के माध्यम से स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करके आर्थिक सशक्तिकरण।

 

  • सुरक्षित मातृत्व-  प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व स्कीम को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एमएचएफडब्लू  द्वारा चलाया जाता है. इस स्कीम की शुरुआत साल 2016 में गई थी.सुरक्षित मातृत्व के बुनियादी सिद्धांत हैं जिन्हें स्तंभ कहा जाता है। सुरक्षित मातृत्व के छह स्तंभों में परिवार नियोजन, प्रसवपूर्व देखभाल, प्रसूति देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल और एसटीआई/एचआईवी/एड्स का नियंत्रण शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि जोड़ों और व्यक्तियों के पास परिवार नियोजन सेवाओं की जानकारी, पहुंच और उपयोग हो।सुरक्षित मातृत्व का अर्थ यह सुनिश्चित करना है कि सभी महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सुरक्षित रूप से गुजरने के लिए आवश्यक जानकारी और सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। इसमें शामिल हैं: सुरक्षित मातृत्व पर शिक्षा। उच्च जोखिम वाली गर्भधारण पर ध्यान देने के साथ प्रसव पूर्व देखभाल (गर्भावस्था के दौरान देखभाल) और परामर्श।इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा।
  • आईएमआर में कमी –विशेष रूप से प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य व्यवसायी या विशेष रूप से प्रशिक्षित उपभोक्ता विशेषज्ञ बीमारी प्रबंधन और पुनर्प्राप्ति (आईएमआर) पाठ्यक्रम के माध्यम से मानसिक बीमारी से निपटने और अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए रणनीति बनाने में मदद करते हैं।आईएमआर के विशेष लक्ष्य हैं। उपभोक्ता की मानसिक बीमारी और उसके उपचार के उपायों का पता लगाना पहला लक्ष्य है। दूसरा, लक्ष्य लक्षणों, पुनर्वास और अस्पताल में भर्ती होने में कमी की जांच करना है। अंततः, पुनर्प्राप्ति और लक्ष्यों की ओर प्रगति कार्यक्रम के महत्वपूर्ण परिणाम हैं।शिशु मृत्यु दर प्रत्येक 1,000 जीवित जन्मों पर शिशु मृत्यु की संख्या है। हमें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने के अलावा, शिशु मृत्यु दर किसी समाज के समग्र स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • जनसंख्या स्थिरीकरण- जनसंख्या स्थिरीकरण जनसंख्‍या स्थिरता कोष (राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण कोष) की स्थापना का उद्देश्य वर्ष 2045 तक सतत आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों को ध्यान में रख ते हुए उसी स्तर पर जनसंख्या स्थिरीकरण को बढ़ावा देना और इससे संबंधी कार्य करना है। जनसंख्‍या स्थिरता कोष के लक्ष्यों, उद्देश्यों और कोष के बारे में जानकारी दी गई है। विश्व की आबादी, भारत की आबादी और सरलीकृत जनसंख्या अवधारणा के बारे में भी जानकारी दी गई है। प्रयोक्‍ता चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं।
  • बाल विवाह की रोकथाम -बाल विवाह संबंधी सूचना टोल फ्री नंबर 1098, 100 डायल एवं महिला हेल्पलाइन 1090 तथा जिला कार्यालय के कंट्रोल रूम के दूरभाष नंबर 07482-222784 पर दी जा सकती है। इसके साथ ही ग्राम स्तरों पर आंगनबाड़ी केन्द्र, ग्राम पंचायत भवन एवं पुलिस को भी सूचना दे सकते हैं।केन्द्र सरकार ने 1929 के बाल विवाह निषेध अधिनियम को निरस्त करके और उसके स्थान पर 2006 में अधिक प्रगतिशील बाल विवाह निषेध अधिनियम लाकर हाल के वर्षों में इस प्रथा को रोकने की दिशा में काम किया है।
  • लड़कियों को कम से कम दसवीं कक्षा तक बनाए रखना -केंद्र सरकार की लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए योजनाओं में बालिका समृद्धि योजना काफी सराहनीय है। सरकारी कार्यक्रम बालिका समृद्धि योजना छात्रवृत्ति पर आधारित है। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे आने वाली बालिकाओं और उनकी माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। बालिका समृद्धि योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारना है।इस योजना ने बाल विवाह को रोका, बेटियों को स्कूलों में दाखिला दिलाया और महिलाओं को समाज में बेहतर स्थान मिलाया।
  • महिलाओं को सुरक्षा एवं सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना -महिला सुरक्षा के लिए सरकार को नियम और कानून को सख्त बनाना चाहिए।महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए।हमें अश्लील और अनैतिक जानकारियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। महिलाओं की संख्या देश की कुल जनसंख्या की आधी है।घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और हत्याभारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सामान्य रूप हैं। दहेज हत्या हत्या का एक चरम रूप है। भारतीयों में अभी भी यह मनोविज्ञान है कि दहेज एक परंपरा है और इसकी कीमत चुकाने के लिए लड़की का पिता अपना सब कुछ खो देता है ।
  • स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के माध्यम से स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करके आर्थिक सशक्तिकरण- स्वयं सहायता समूह को बचत खाता चलाने की अनुमति देना। समूह को ऋण देने में लचीलापन दिखाना ऋण के समय मार्जिन राशि और जमानत पर छुट गैर सरकारी संस्थाओं और समूहों के साथ संबंध बनाना और समूह की स्वस्थ संचालन और मधुर लिंकेज पर ध्यान देना।SCG सदस्यों को ऋण लेने के लिए संपार्श्विक की आवश्यकता नहीं होती। समूह बैंकों से ऋण लेने का योग्य है अगर वे नियमित बचत करते हैं। सदस्यों को स्वरोजगार के अवसर मिलते हैं।महिलाओं को स्वयं सहायता समूह में बैंक सखी, बीसी सखी और समूह सखी की नौकरी मिलती है। इसके अलावा, महिलाओं को नौकरी पाने के लिए लोन, जिसका ब्याज दर कम है, दिया जाता है। महिलाओं को अलग-अलग तरह का रोजगार सिखाया जाता है ताकि वे अपने परिवार को सहायता दे सकें।

स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), शिक्षा विभाग और गृह विभाग के सहयोग से इस कार्यक्रम का लक्ष्य महिलाओं का सर्वांगीण विकास करना है। वार्षिक योजना 2018-19 के लिए 20.35 लाख रुपये का व्यय किया जाएगा। संशोधित प्रावधान के विरुद्ध ₹30 लाख किया गया है।

FAQ Chief Minister’s 7 Point Programme for Empowerment of Women

प्रश्न 1-महिला सशक्तिकरण दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष, ८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

प्रश्न 2- महिला सशक्तिकरण का मुख्य बिंदु क्या है?

उत्तर: महिला सशक्तिकरण का अर्थ है शिक्षा के माध्यम से, पेशेवर स्तर पर महिलाओं को प्रोत्साहित करना, उनकी राय को स्वीकार करना, और उन्हें वह अधिकार प्रदान करना जो वे चाहें।