Khalistan: खालिस्तान आंदोलन – क्या है खालिस्तान !

खालिस्तान आंदोलन भारत के पंजाब राज्य से शुरू हुआ था। खालिस्तानी अलगाववादियों ने 29 अप्रैल 1986 को भारत से अपनी एक तरफा आजादी की घोषणा की और 1993 में खालिस्तान यूएनपीओ (UNPO) का सदस्य बना। 1980 और 1990 के दशक में खालिस्तान आंदोलन अपने चरम सीमा पर था। बाद में 1995 तक भारत सरकार ने इस आंदोलन को दबा दिया। ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद एक अलग सिख राष्ट्र की मांग शुरू हुई। भारत से अलग सिख राष्ट्र के लिए SGPC का प्रस्ताव 9 मार्च 1946 को रखा गया।

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खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी खास बातें

 

  1. 1971 में पहली बार जगजीत सिंह चौहान ने अमेरिकी अखबार में खालिस्तान राष्ट्र के तौर पर विज्ञापन छपवाया।
  2. लंदन में खालिस्तान को बतौर देश मानकर डाक टिकट जारी।
  3. भिंडरावाला के उदय के बाद ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया।
  4. विदेशों में रहने वाले सिक्कों से आंदोलन को वित्तीय को नैतिक समर्थन मिला।
  5. 1980 में खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाया और मुखिया बना।

 

क्या है खालिस्तान आंदोलन

 

खालिस्तान आंदोलन एक सिख अलगाववादी आंदोलन के रूप में शुरू हुआ। इस आंदोलन में भारत और पाकिस्तान दोनों शामिल थे। खालिस्तान का अर्थ “खालसा की भूमि” खालिस्तान आंदोलन का उद्देश्य पंजाब के सीख अपना अलग राष्ट्र बनाना चाहते हैं। एक शक्तिशाली प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और उसके बाद सिख विरोधी दंगों के भयानक दौर से क्षतिग्रस्त होने के बाद खालिस्तान अतीत की बात बन गया था। लेकिन पिछले कुछ महीनों में पंजाब में कुछ घटनाएं दबी हुई कुल्हाड़ी का पता लगाने का संकेत देती है।

 

खालिस्तान आंदोलन हुआ तेज

 

सिख प्रवासी के राजनीतिक और वित्तीय समर्थन के साथ पंजाब में खालिस्तान के लिए आंदोलन गति पकड़ रहा था। यह 1970 के दशक तक जारी रहा और 1980 के दशक के अंत में अलगाववादी आंदोलन के रूप में अपने शिखर पर पहुंच गया। तब से खालिस्तान की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं का विस्तार चंडीगढ़ और उत्तरी भारत और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों को शामिल करने के लिए किया गया है। जगजीत सिंह चौहान खालिस्तान आंदोलन के बदनाम संस्थापक थे। प्रारंभ में एक डेंटिस्ट, चौहान 1967 में पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए थे। वे वित्त मंत्री बने, लेकिन 1969 में, वे विधानसभा चुनाव हार गए।

 

खालिस्तान आंदोलन के इतिहास

 

लाहौर में कांग्रेस का एक अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू ने ‘पूर्ण स्वराज्य की मांग की। तारा सिंह ने ही पहली बार सिखों के लिए अलग राज्य की मांग की थी। आजादी के बाद भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अलग देश बना. इससे पंजाब भी दो हिस्सों में बंट गया. एक हिस्सा पाकिस्तान के पास गया और दूसरा हिस्सा भारत में रहा. इसके बाद अकाली दल ने सिखों के लिए अलग प्रदेश की मांग तेज कर दी. इसी मांग को लेकर 1947 में ‘पंजाबी सूबा ‘आंदोलन’ शुरू हुआ। 

 

खालिस्तान की राजधानी

 

जगजीत के अनुसार जुल्फिकार अली भुट्टो ने उसे प्रस्ताव दिया था कि ननकाना साहिब खालिस्तान की राजधानी बनेगा।

 

खालिस्तान का नक्शा

 

 

खालिस्तान का आतंक

 

  • डीआईजी अटवाल की स्वर्ण मंदिर में हत्या
  •  ऑपरेशन ब्लू स्टार में सेना के खिलाफ कार्रवाई
  • एयर इंडिया विमान को विस्फोट से उड़ाया
  •  पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की हत्या
  • मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या

 


 

Q .1खालिस्तान की मांग कौन कर रहा है?

Ans.   पंजाब के सिखों द्वारा खालिस्तान की मांग                  की जा रही है।

Q.2    खालिस्तान का नेता कौन है?

Ans.   Amritpal Singh (अमृतपाल सिंह)

 

 

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